आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
प्राचीन काल में मनुष्य को अगणित सुख-सुविधायें प्राप्त थीं, उसकी शक्ति-सामर्थ्य प्रत्येक दिशा में बहुत बढ़ी-चढ़ी थी। इस सुयोग का कारण और कुछ नहीं, केवल एक ही था—जीवन का अध्यात्म प्रेरणा से अनुप्राणित एवं प्रेरित होना। उस समय सब लोग अपनी भावनायें और क्रियाएँ अध्यात्म मान्यताओं एवं मर्यादाओं के अनुसार ढालते थे, फलस्वरूप उन्हें बाह्य जीवन में किसी प्रकार की असुविधा न रहती थी। जहाँ चंदन का वृक्ष होगा वहाँ सुगंध रहेगी ही, जहाँ अध्यात्म को आश्रय मिलेगा वहाँ शक्ति, समृद्धि और सुख-शांति की परिपूर्णता ही रहनी चाहिए।
अध्यात्म भारत की महानतम संपत्ति है। उसे मानवता का मेरुदंड कहा जा सकता है। मनुष्य के भौतिक एवं आध्यात्मिक चिरस्थायी उत्कर्ष का एकमात्र आधार यही है। मनुष्य जाति की अगणित समस्याओं को हल करने और सुख-शांतिपूर्वक जीने के लिए अध्यात्म ही एकमात्र उपाय है। इस जीवन तत्त्व की उपेक्षा करने से पतन और विनाश का ही मार्ग प्रशस्त होता है। दुःख और दारिद्र, शोक और संताप इसी उपेक्षा के कारण उत्पन्न होते हैं। मनुष्य के भविष्य को अंधकारमय बनाने वाला निमित्त इस उपेक्षा से बढ़कर और कोई नहीं हो सकता।
अध्यात्म मानव-जीवन के श्रेष्ठतम सदुपयोग की एक वैज्ञानिक पद्धति है। उसे जीवन जीने की विद्या भी कहा जा सकता है। छोटे-छोटे कार्यों की भी कोई प्रणाली एवं पद्धति होती है। उसी ढंग से चलने पर सफलता मिलती है। अस्त-व्यस्त ढंग से कार्य किया जाए तो लाभ के स्थान पर हानि ही होगी। मानव-जीवन इस संसार का सर्वोत्कृष्ट वरदान है। भगवान् के पास जो कुछ विभूतियाँ हैं, वे सभी उसने मनुष्य शरीर में बीज रूप में भर दी है। ऐसे बहुमूल्य संयंत्र का सुसंचालन एवं सदुपयोग यदि ज्ञात न हो तो उसे एक दुर्भाग्य ही कहा जायेगा।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न